Kaal Bhairav Jayanti 2023 : मार्गशीर्ष मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भैरव जयंती (Kaal Bhairav Jayanti 2023) मनाई जाती है। पुराणों के अनुसार भैरव भगवान शिव का ही एक रूप हैं। काल भैरव का वाहन कुत्ता है। भैरव का अर्थ भयानक और पोषक दोनों ही होता है, इनसे काल भी डरा हुआ रहता है इसी कारण इन्हें काल भैरव भी कहा जाता है। अष्टमी होने के कारण कुछ क्षेत्रों में कालाष्टमी भी कहा जाता है।
क्यों मनाई जाती है काल भैरव जयंती
एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी में सृष्टि के परम तत्व का विवाद छिड़ गया, दोनों अपने को परम तत्व कह रहे थे तो निर्णय का अधिकार महर्षियों को सौंपा गया। उन्होंने वेद शास्त्रों और आपसी विमर्श के बाद निर्णय दिया कि परम तत्व तो कोई अव्यक्त सत्ता है। दोनों में उसका अंश विद्यमान है। भगवान विष्णु ने तो इस बात को मान लिया किंतु ब्रह्माजी इसके लिए तैयार नहीं हुए और अपने को सर्वोपरि घोषित करते हुए सृष्टि का नियंता कहने लगे।
शिवजी ने तोड़ा ब्रह्माजी का अहंकार
यह एक तरह से परम तत्व की अवज्ञा और अपमान था। यह बात भगवान शंकर को भी नहीं स्वीकार हुई। ब्रह्माजी की कुछ बातों से शिवजी अत्यंत क्रोधित हुए। तब शिवजी के माथे से भैरव प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी के पांच सिरों में से एक को काट दिया। इससे ब्रह्माजी के सिर्फ 4 सिर हो गए। शिवजी ने भैरव का रूप धारण कर ब्रह्माजी के अहंकार को चूर-चूर कर दिया। उस दिन मार्गशीर्ष मास की कृष्ण अष्टमी थी। बस तभी से इस दिन भैरव जयंती मनाई जाने लगी।
स्कंद पुराण के अवंति खंड के अनुसार, भगवान भैरव के 8 रूप हैं। इनमें से काल भैरव तीसरे रूप हैं। शिव पुराण के अनुसार शाम को प्रदोष काल में शिव के रौद्र रूप से भैरव प्रकट हुए थें।
भैरव रूप से ही बाकी 7 और रुप प्रकट हुए जिन्हें उनके काम के हिसाब से नाम दिए हैं। उनके नाम- असित भैरव, क्रोध भैरव, भीषण भैरव, रुरु भैरव, संहार भैरव, काल भैरव, महाभैरव और खटवांग भैरव।
भैरव अष्टमी का व्रत रहने के लाभ
काल भैरव सदा धर्मसाधकों, शांत और सामाजिक मर्यादाओं का पालन करने वाले प्राणियों की काल से रक्षा करते हैं। उनकी शरण में जाने से मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। इस बार (Kaal Bhairav Jayanti 2023) भैरव अष्टमी 5 दिसंबर को होगी। व्रतों में इस व्रत को उत्तम माना गया है। इस व्रत को करने से बड़ा फल प्राप्त होता है। इस दिन व्रत का संकल्प करने के बाद दिन में काल भैरव और भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए। भैरव मंदिर और शिव मंदिर में शंख, घंटा, घड़ियाल आदि बजाते हुए भजन कीर्तन और जाप करना चाहिए। रविवार और मंगलवार के दिन अष्टमी होने पर महत्व बहुत अधिक हो जाता है। काल भैरव के वाहन कुत्ते को दूध, दही मिठाई आदि खिलाना चाहिए।
भैरव अष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त
Kaal Bhairav Jayanti 2023
- सूर्योदय 5 दिसंबर, प्रातः 6:58 बजे
- सूर्यास्त 5 दिसंबर, शाम 5:36 बजे
- अष्टमी तिथि का समय- 4 दिसंबर, रात 10 बजे – 6 दिसंबर, 12:37 बजे
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