Legal action against Deepfake : साउथ एक्ट्रेस रश्मिका मंदाना के डीपफेक वीडियो ने लोगों में डीपफेक को लेकर जागरुकता पैदा की है। इसके बाद कई एक्ट्रेस जैसे कटरीना कैफ, काजोल और आलिया भट्ट के भी डीपफेक वीडियो वायरल हुए। अभी तक तो ये सेलिब्रेटीज़ को टार्गेट कर रहे हैं, पर आम जनता भी इसके खतरे से दूर नहीं है। ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आप खुद को डीपफेक से कैसे बचाएं और इसका शिकार होने पर किस तरह के (Legal action against Deepfake) कानूनी कमद उठाएं।
जानिए किस तरह और कैसे उठाएं कानूनी कदम
Legal action against Deepfake
- अगर आप डीपफेक का शिकार हैं तो भारत में इसके खिलाफ कई कानूनी प्राविधान है, जो आपको इससे बचा सकता है। हालांकि वित्तीय अपराध के ममलों में रकम बरामद करना मुश्किल है।
- पीड़ित को सबसे पहले (Legal action against Deepfake) इस बात की चिंता होती है कि फर्जी कंटेंट कैसे हटवाया जाए, जो सोसाइटी में उसकी इमेज को नुकसान पहुंचा सकता है। इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 की मदद से न्यूड या अश्लील कंटेंट 24 घंटे में हटवाया जा सकता है।
- नियमों के तहत प्लेटफॉर्म के लिए जरूरी है कि वे ऐसे अश्लील या नियमों का उल्लंघन करने वाले कंटेंट को निरोधक उपाय के तौर पर अपलोड किए जाने से रोके।
- IT एक्ट और IPC 1861 में इस तरह के आपराधिक कृत्य में शामिल अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कई प्रविधान है।
- IT एक्ट के सेक्शन 67 और 67A के तहत अश्लील या कामुकता व्यक्त करने वाले कंटेंट को पब्लिश्ड या टेलिकास्ट करना दंडनीय अपराध है। अगर ये कंटेंट बच्चों से संबंधित है तो सेक्शन 67B या पास्को एक्ट के प्रविधान लागू किए जा सकते हैं।
- डीपफेक व्यक्ति के यूनीक फीचर्स का इस्तेमाल आप से ऑनलाइन चैट करने के लिए किया जाता है, ऐसे मामलों में IT एक्ट का सेक्शन 66D लागू किया जा सकता है।
- महिलाओं के खिलाफ अपराध में IPC के कई प्रविधानों को लागू किया जा सकता है। जैसे महिला की शालीनता भंग करने के मामले में IPC का सेक्शन 509 लागू किया जा सकता है।
- Deepfake इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की जालसाजी की कैटेगरी में आता है। इसलिए IPC का सेक्शन 463 से 471 लागू किया जा सकता है।
- Deepfake का इस्तेमाल करते हुए चुनाव से जुड़े अपराधों के लिए रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट, 1951 के प्रविधानों को लागू किया जा सकता है। ये सभी जानकारी सीनियर एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट और साइबर साथी की संस्थापक एनएस नपिनई ने दैनिक जागरण को दी है।
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