Artificial Rain : दिल्ली-NCR में एयर पॉल्यूशन खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। इससे निपटने के लिए तमाम कोशिशें उपायों के बीच कृत्रिम बारिश यानी (Artificial Rain) से थोड़ी राहत मिलने की बात कही जा रही है। IIT कानपुर ने दावा किया है कि उसके पास दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के जरिए आर्टिफिशियल बारिश कराने की क्षमता है। आइये जानते हैं, ये आर्टिफिशियल बारिश है क्या और भारत समेत दूसरे देश आर्टिफिशियल बारिश का इस्तेमाल कैसे कर रहे हैं।
क्या है कृत्रिम बारिश
What is artificial rain
आर्टिफिशियल बारिश को क्लाउड सीडिंग भी कहा जाता है। आर्टिफिशियल बारिश कराना एक साइंटिफिक प्रोसेस है। इसके लिए पहले आर्टिफिशियल बारिश बनाए जाते हैं। पुरानी और सबसे ज्यादा प्रचलित तकनीक में विमान या हेलीकॉप्टर के जरिए ऊपर पहुंचकर बदालों में सिल्वर आयोडाइड मिला दिया जाता है। इसकी वजह से बादलों का पानी भारी हो जाता है और बारिश हो जाती है।
इस प्रोसेस में आम तौर पर आधा से एक घंटा लगता है लेकिन इसकी सफलता मौसम के खास हालात पर डिपेंड करती है। जैसे बादलों में नमी है या नहीं और हवाएं आर्टिफिशियल बारिश (Artificial Rain) कराने के लिए अनुकूल है या नहीं।
क्यों कराई जाती है आर्टिफिशियल बारिश
क्लाउड सीडिंग कितनी इफेक्टिव है इसको लेकर साइंटिस्ट्स में बहस हो रही है। हालांकि कई चीजों के लिए क्लाउड सीडिंग कराई गई है। जैसे सूखे या पानी की कमी का सामना कर रहे इलाकों में, जंगल में लगी आग पर काबू पाने के लिए ओले का आकार कम करने और हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए क्लाउड सीडिंग कराई गई है।
गर्मी-सूखे की समस्या से दिलाती है राहत
जलवायु परिवर्तन की वजह से लोगों को ज्यादा गर्मी और सूखे का सामना करना पड़ रहा है। ज्यादा गर्मी और सूखे की समस्या से निपटने के लिे आर्टिफिशियल बारिश (Artificial Rain) को एक कारगर उपाय के तौर पर देखा जा रहा है। थाइलैंड सूखे की समस्या से निपटने के लिए क्लाउड सीडिंग पर काम कर रहा है। आने वाले समय में क्लाउड सीडिंग अरबों डॉलर की इंडस्ट्री के तौर पर उभर सकती है। इससे दुनिया में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और पानी की कमी से निपटने में भी मदद मिलेगी।
क्या आर्टिफिशियल रेन पर्यावरण के लिए खतरनाक
आर्टिफिशियल बारिश कराने के लिए सिल्वर आयोडाइड का इस्तेमाल किया जाता है। इसे हमारे सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले रसायन के तौर पर देखा जाता है। हालांकि पर्यावरण पर इसके संभावित असर को लेकर चिंता जताई जा रही है। खास कर पारिस्थितिकीं तंत्र और पानी की गुणवत्ता पर असर और बारिश के प्राकृतिक पैटर्न में बदलाव को लेकर चिंता जताई जा रही है। इसके अलावा ये प्रोसेस महंगी भी है।
कौन-कौन से देश क्लाउड सीडिंग को अपना चुके हैं
भारत के लिए आर्टिफिशयल बारिश नई नहीं है। कर्नाटक और महाराष्ट्र यहित देश के दूसरे हिस्सों में इसका इस्तेमाल किया जा चुका है। 2019 में कर्नाटक में क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट चलाया गया था। 2014 और 2015 में लगातार सूखा पड़ने पर महाराष्ट्र सरकार ने मराठवाड़ा में आर्टिफिशियल बारिश कराने के लिए एक प्राइवेट एजेंसी की मदद ली थी।
चाइना दुनिया मे सबसे बड़ा क्लाउड सीडिंग प्रोग्राम चला रहा है। 2008 बीजिंग ओलिंपिक से पहले बारिश कराने के लिए इसका इस्तेमाल किया था। अमेरिका में सूखे और एयरपोर्ट के आस पास कोहरे से निपटने के लिए क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल किया गया था। UAE में पानी की कमी को पूरा करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है।
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