Dr MS Swaminathan : प्रसिद्ध भारतीय कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार को निधन हो गया, उनके जाने से भारतीय कृषि क्षेत्र में एक युग का अंत हो गया। भारत में हरित क्रांति को लाने वाले एमएस स्वामीनाथन (Dr MS Swaminathan) का 98 साल की आयु में अंतिम सांस ली। स्वामीनाथन की मेहनत और कौशल की वजह से आज हम ऐसे भारत में जी रहे हैं जो न सिर्फ 140 करोड़ देशावासियों का पेट भर रहा बल्कि पूरी दुनिया की फुट सेफ्टी में अहम भूमिका निभा रहा।
कौन थें Dr MS Swaminathan ?
- भारत की हरित क्रांति के जनक डॉ. स्वामीनाथन (Dr MS Swaminathan) के बेहतरीन काम ने भारत के किसानों को धान और गेहूं की ज्यादा पैदावार करने वाली किस्में दी। यह उनकी ही देन थी कि भारत 1960 के अकाल के दौरान उससे पार पाने में कामयाब रहा। 2987 के में उन्हें पहले विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1989 में स्वामीनाथन को देश के दूसरे सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार पदम विभूषण से नवाजा गया।
- उन्हें 1967 में पदम श्री व 1972 में पदम भूषण भी मिला। उन्हें 81 डॉक्टरेट उपाधियां दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से मिली हैं। 2007 से 2013 तक वह राज्य सभा सदस्य भी रहे।
- 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में जन्मे डॉ स्वामीनाथन की कृषि महानता की यात्रा जल्दी शुरू हुई। मद्रास कृषि कॉलेज से कृषि विज्ञान की डिग्री के साथ, उन्होंने प्रतिष्ठित कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में आगे की पढ़ाई की, जहां आनुवंशिकी और पौधों के प्रजनन में उनकी रुचि बढ़ती गई।
- भारतीय कृषि पर डॉ. स्वामीनाथन (Dr MS Swaminathan) का परिवर्तनकारी प्रभाव 1960 के दशक में उभरना शुरू हुआ जब उन्होंने उच्च उपज देने वाली फसल (high-yielding crop varieties) किस्मों की शुरूआत की। उनका दूरदर्शी दृष्टिकोण उस समय भारत में हरित क्रांति को आगे बढ़ाने में सहायक था जब देश अभी भी गरीबी और सामाजिक सुरक्षा की कमी से जूझ रहा था।
- Dr MS Swaminathan के प्रयासों का प्रभाव किसी क्रांतिकारी से कम नहीं था। भारत का खाद्य उत्पादन आसमान छू गया, और देश भोजन की कमी की स्थिति से खाद्य आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ गया। उनके काम ने न केवल संभावित अकाल को टाला, बल्कि अनगिनत कृषक समुदायों की दैनिय आर्थिक स्थिति से भी उभारा।
- अपने वैज्ञानिक योगदान के अलावा, डॉ. स्वामीनाथन ने हमेशा टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों के महत्व पर जोर दिया है। उन्होंने माना कि हालाँकि उत्पादकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे दीर्घकालिक पर्यावरणीय क्षरण की कीमत पर नहीं आना चाहिए। टिकाऊ कृषि के लिए उनकी वकालत विश्व स्तर पर गूंजी है।
The B. P. Pal Centenary Award, eponymously named after the Indian agricultural scientist, being awarded to Swaminathan in 2006
- किसानों के अधिकारों, सामाजिक न्याय और ग्रामीण विकास के लिए एक वकील, कृषि में विकास के लिए डॉ. स्वामीनाथन के दृष्टिकोण ने ऐसी पहल की, जिसने किसानों को, विशेष रूप से महिलाओं को खेती और कृषि निर्णय लेने में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए सशक्त बनाया।
- वह संयुक्त राष्ट्र और खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) जैसे संगठनों में भी एक प्रभावशाली आवाज थे, जहां उन्होंने वैश्विक खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ कृषि का आह्वान किया था। उनके योगदान ने उन्हें कई सम्मान दिलाये, जिनमें भारत के दो सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण और पद्म विभूषण शामिल हैं। उन्हें विश्व खाद्य पुरस्कार भी मिला, जिसकी तुलना अक्सर कृषि में नोबेल पुरस्कार से की जाती है।
मोटे अनाज पर थी स्वामीनाथन की नजर
Dr MS Swaminathan ने 2010 में मोटे अनाज की उपयोगिता पर जोर दिया था। उन्होंने नीति निर्माताओं से अपील की थी कि मोटे अनाज को हमें अपने रोजमर्रा के खानपान में शामिल करना चाहिए। मौजूदा सरकार मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा दे रही है, और हाल में संपन्न हुए जी 20 सम्मेलन के दौरान विदेशी मेहमानों को मोटे अनाज से बने व्यंजन भी परोसे गए।
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