Pitru Paksh 2023 : पितृपक्ष पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का महापर्व है। इस बार 29 सितंबर से 14 अक्टूबर तक चलने वाले पितृपक्ष में शुभ कार्य व खरीदारी करने का विशेष संयोग भी है। सनातन धर्म के मर्मज्ञों का कहना है कि पितृपक्ष (Pitru Paksh 2023) में खरीदारी या शुभ कार्य करने में कोई विघ्न नहीं होता, बल्कि पितरों का आशीष मिलता है, जो जीवन समृद्धशाली बनाता है।
श्रीधर्मज्ञानोपदेश संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार, पितृपक्ष सौभाग्य को जागृत करने वाला महापर्व है। परमपिता ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के दौरान समय, काल का विभाजन किया था। देवताओं व असुरों के लिए दिन निर्धारित हुए। देवताओं का दिन सूर्य उत्तरायण होने पर होता है, जबकि सूर्य के दक्षिणायन होने पर दैत्यों का समय माना जाता है।
भाद्रपद शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि से आश्विन कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि तक 15-16 दिन का समय पितरों के लिए निर्धारित है। इसे महालय कहते हैं। इस कालखंड में वंशजों को आशीष देने के लिए पितर दिव्य लोक से पृथ्वी पर आते हैं। पितृपक्ष (Pitru Paksh 2023) में पित्रों के कल्याण के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत, मां लक्ष्मी व्रत पड़ते हैं।
धर्मग्रंथों में पितृपक्ष (Pitru Paksh 2023) में खरीदारी व शुभ कार्य वर्जित नहीं है। विश्व पुरोहित परिषद के अध्यक्ष डॉ विपिन पांडेय के अनुसार पितृ रुपी जनार्दनः यानी पितर साक्षात विष्णु रुपी माने गए हैं।
अबकी बार 1 ही तिथि में द्वितीया व तृतीया का श्राद्ध
सनातन धर्म में आश्विन मास का कृष्ण पक्ष पितरं को समर्पित किया गया है। पितृ पक्ष में प्रतिपदा से अमावस्या तक तिथिवार श्राद्ध- तर्पण का विधान है। आश्विन कृष्ण पक्ष 30 सितंबर से शुरु हो रहा है। प्रतिपदा का श्राद्ध इसी दिन किया जाएगा। पितृपक्ष आरंभ होने के एक दिन पूर्व अर्थात 29 से ही महालय का आरंभ नियमानुसार नांदीमातामह श्राद्ध से हो जाएगा।
इसकी पूर्णता 14 अक्टूबर को अमावस्या तिथि में पितृ विसर्जन के साथ हो रही है। अब की श्राद्धकालिक तिथि मान में हास-वृद्धि (घटत-बढ़त) के कारण एक अक्टूबर को द्वितीया व तृतीया का श्राद्ध संयुक्त रुप से किया जाएगा। साथ ही 9 अक्टूबर को तिथइ जन्य किसी पार्वण श्राद्ध का योग नहीं बन रहा। काशई विद्वत परिषद के संगठन मंत्री व बीएचयू के पूर्व ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो विनय पांडेय के अनुसार प्रत्येक सनातन धर्मावलंबी का नित्य नैमित्तिक कर्तव्य है कि देव-ऋषि व पितृ पूजन करते हुए भारतीय संस्कृति एवं धर्म अनुरुप जीवन-यापन करें।
Pitru Paksh 2023 तिथिवार श्राद्ध
29 सितंबर – महालय आरंभ
30 सितंबर – प्रतिपदा का श्राद्ध
1 अक्टूबर – द्वितीया व तृतीया का संयुक्त श्राद्ध
1 अक्टूबर – चतुर्थी का श्राद्ध
3 अक्टूबर – पंचमी का श्राद्ध
4 अक्टूबर – षष्ठी का श्राद्ध
5 अक्टूबर – सप्तमी का श्राद्ध
6 अक्टूबर – अष्टमी का श्राद्ध
7 अक्टूबर – नवमी का श्राद्ध
8 अक्टूबर – दशमी का श्राद्ध
9 अक्टूबर – तिथि जन्य कोई भी पार्वण श्राद्ध नहीं
10 अक्टूबर – एकादशी का श्राद्ध
11 अक्टूबर – द्वादशी एवं सन्यासी, यति, वैष्णव गण का श्राद्ध
12 अक्टूबर – त्रयोदशी का श्राद्ध
13 अक्टूबर – चतुर्दशी व शस्त्रादि से मृत व्यक्तियों का श्राद्ध
14 अक्टूबर – अमावस्या का श्राद्ध व पितृ विसर्जन
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