Samvidhan Sadan : पुराने संसद भवन को आज विदाई दिया जा रहा है। अब से नए संसद भवन में लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही चलेगी। इस मौके पर संसद के सेंट्रल हॉल में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सांसदों को संबोधित करते हुए कहा ये सदन ऑर्टिकल 370, तीन तलाक, GST जैसे बड़े फैसलों के लिए याद रखा जाएगा। पुराने संसद भवन को संविधान सदन (Samvidhan Sadan) के रूप में जाना जाए।
96 सालों से अधिक समय से पुराना संसद भवन (Samvidhan Sadan) राष्ट्र के जन्म से लेकर परमाणु ताकत के उदय तक कई ऐतिहासिक घटनाों का सक्षी बना। आइये डालते हैं उन ऐतिहासिक घटनाओं पर एक नजर –
संसद भवन में बमबारी
पुराना संसद भवन भगत सिंह के साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, दुनिया के मजदूरों एक हो और क्रांति जिंदाबाद के क्रांतिकारी नारों की भी गवाह है। 8 अप्रैल 1929 को हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के क्रांतिकारी भगत सिंह ने दर्शक दीर्घा से केंद्रीय विधान सभा के हॉल में बम फेंका था। यह इमारत उस वक्त गवाह बनी, जब 1947 में भारत को उसके औपनिवेशक शासकों से आधिकारिक तौर पर सत्ता हस्तांतरित की गई।
पुराने संसद भवन (Samvidhan Sadan) का शिलान्साय 12 फरवरी, 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट ने किया था। इसके निर्माण में 6 सालों का समय लगा था। इसका उद्घाटन तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927 को किया था। इस भवन के निर्माण कार्य में उस वक्त कुल 83 लाख रुपये की लागत आई थी।
प्रथम प्रधानमंत्री का ऐतिहासिक भाषण
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता कि पूर्व संध्या पर संसद में भरतीय संविधान सभा में प्रसिद्ध ट्रिस्ट विद डेस्टिनी भाषण दिया था। जिसके बाद संविधान सभा के सदस्यों ने राष्ट्र की सेवा के लिए खुद को समर्पित करने की शपथ ली थी।
पुराने संसद भवन का आकार
Samvidhan Sadan
गोलाकार आवृत्ति में बना संसद भवन का व्यास 170.69 मीटर (560 फीट) है औ इसकी परिधि 536.33 मीटर है जो करीब 6 एकड़ भू भाग में स्थित है। दो अर्धवृत्ताकार भवन केंद्रीय हाल को खुबसूरत गुबंदों से घेरे हुए हैं। भवन के पहले फ्लोर का गलियारा 144 मजबूत खंभों पर टिका है। हर खंभे की लंबाई 27 फीट है। इसके 12 द्वार हैं जिसमें गेट नंबर 1 मेन द्वार है।
1975 का आपातकाल
तत्कालनी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की थी। संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद द्वारा अधिकारिक तौर पर जारी किया गया आपातकाल 25 जून 1975 से 21 मार्च 197 को वापस लेने तक प्रभावी रहा।
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पहली पंच वर्षीय योजना
देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1951 में भारत की संसद में पहली पंचवर्षीय योजना प्रस्तुत की। पहली पंचवर्षीय योजना मुख्य रुप से प्राथमिका क्षेत्र के विकास पर केंद्रित थी और कुछ संशोधनों के सथ हैरोड-डोमेर मॉडल पर आधारित थी। इसका मेन मकसद देश के विभाजन के कारण पैदा हुई अलग अलग समस्याओं का समाधान करना था।
परमाणु ताकत का उदय होना
1974 में तत्कालनी पीएम इंदिरा गांधी ने संसद (Samvidhan Sadan) में एक विस्तृत बयान दिया था, जिसमें सदन को पोखरण में शांतिपूर्ण परमाणु प्रयोग और उस पर अन्य देशों की प्रतिक्रिया से अवगत कराया गया। लगभग 24 साल बाद 1998 में तत्कालनी पीएम अटल बिहारी वाजपाई ने 11 मई और 13 मई को साइंटिस्ट्स द्वारा 5 भूमिगत परमाणु परीक्षण किए जाने के बाद भारत को परमाणु हथियार संपन्न देश घोषित किया।
कई राज्यों को मिला दर्जा
30 मई 1987 को गोवा को यहीं से (Samvidhan Sadan) राज्य का दर्जा मिला। यहां सिक्किम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य बनें। भारत में दीव, दमन, दादारानगगर हवेली और पुद्दुचेरी को शामिल करने की चर्चा यही पर की गई थी।
आतंकी हमला
सन् 2001 में जब आतंकवादियों ने पुराने संसद भवन पर अटैक करने की कोशिश की तो यह इमारत फिर से खड़ी हो गई। लश्कर ए तैयबा और जैश ए मुहम्मद के पांच आतंकवादी संसद के मैदान में घुस गए थे और इमारत पर अटैक करने की कोशिश की थी। सभी आतंकी इमारत के बाहर मारे गए।
Courtesy – Dainik Jagran
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