उज्जैन में भगवान महाकालेश्वर मंदिर के ठीक ऊपर विराजमान भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट नाग पंचमी के मौके पर रात पर रात 12 बजे खोल दिये जाते हैं नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर इसलिए विख्यात है, क्योंकि दुनिया भर में ये एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव और मां पार्वती नाग को आसन बनाकर विराजित हैं मंदिर के कपाट साल में सिर्फ 1 बार ही खोले जाते हैं
भगवान शिव की नगरी काशी में जैतपुरा स्थित रहस्मयी नागकुआं (नागकूप) है, जिसका रास्ता सीधे नागलोक को जाता है। शास्त्रों में भी इस नाग कुआं का जिक्र है। मान्यता के अनुसार, नागदंश और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए पूरे विश्व में सिर्फ 3 ही स्थान है, जिसमे ये कूप प्रधान है।
प्रयागराज में संगम किनारे स्थित नागवासुकी मंदिर है। यहां नागों को राजा नागवासुकी विराजमान हैं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रयागराज के नागवासुकी मंदिर से कंकड़ लारप घर के चारों तरफ रखने से साँपों और नागों की काली छाया नहीं पड़ती साथ ही कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है।
धौलीनाग मंदिर उत्तराखंड के बागेश्वर में स्थित है। ये मंदिर कालिया नाग के सबसे बड़े पुत्र धौलीनाग देवता को समर्पित है।
मान्यता है कि, धौली नाग देवता स्थानीय लोगों की कई प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करते हैं। इसलिए उन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है।