Uniform Civil Code : इन दिनों यूनिफॉर्म सिविल कोड फिर से चर्चा में आ गई है। कुछ लोगों को इसके बारे में पता है पर कुछ लोगों को UCC के अलावा और कुछ नहीं पता, कि आखिर ये है क्या। तमाम विपक्ष UCC को लेकर अपना पक्ष रख रहे हैं, और विरोध भी कर रहे हैं। कई सरकार पर सवाल भी उठा रहे हैं। तो चलिए आसान से भाषा में समझते हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) है क्या और क्यों ये इस वक्त चर्चा में है। BJP से इसका क्या कनेक्शन है। और इसके लागू होने पर हिन्दुओं और मुस्लिमों पर इसका क्या असर पड़ेगा।
UCC आखिर चर्चा में क्यों है?
BJP ने 2014 और 2019 में अपने मैनिफेस्टो में इस बात का जिक्र किया था कि अगर उनकी सरकार आती है तो UCC यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) को पूरे देश में लागू करेंगे। BJP ने मेनिफेस्टो में किए गए अपने कई वादों को पूरा भी कर चुकी है। अब साल 2024 भी नजदीक है उससे पहले BJP ये चाहती है कि UCC के वादे को भी वो पूरा कर दे।
हाल ही में PM मोदी ने एक बयान दिया था और कहा था कि- एक परिवार में एक सदस्य के लिए अलग कानून और दूसरे सदस्य के लिए अलग कानून हो तो कैसे चलेगा। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। PM मोदी ने ये भी कहा था कि संविधान में भी सभी नागरिकों के लिए समान और एक अधिकार का जिक्र किया गया है। बस पीएम के इसी बयान के बाद से ही Uniform Civil Code का मुद्दा गर्मा गया।
क्या है Uniform Civil Code
जैसा PM मोदी ने कहा- परिवार में एक सदस्या के लिए अलग कानून और दूसरे के लिए अलग कानून से परिवार कैसे चलेगा। भारत में क्रिमिनल लॉ के अनुसार, किसी भी धर्म, जाति, लिंग का कोई भी नागरिक कहीं चोरी या मर्डर करता है तो IPC के हिसाब से उसे एक ही तरह की सजा मिलती है। लेकिन शादी, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बटवारे को लेकर अभी तक सभी धर्मों के लिए अलग अलग कानून हैं।
इसमें हिन्दू पर्सनल लॉ और मुस्लिम पर्सनल लॉ जैसे नियम लागू होते हैं, पर Uniform Civil Code (समान नगारिक संहिता) के लागू हो जाने के बाद इन मुद्दों पर भी एक ही कानून होगा जो सभी धर्म और जाति को लोगों पर लागू होगा। संविधान के आर्टिकल 44 में लिखा है कि- सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है..
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) यानी एक देश और एक कानून। UCC लागू होने पर देश में शादी, बच्चा गोद लेना तलाक, प्रॉपर्टी के बंटवारे से लेकर अन्य विषयों पर सभी नागरिकों के लिए सामन रूप का कानून होगा। भारत में अब तक हिन्दू, मुस्लिम और ईसाई सभी धर्मों के अपने अलग अलग फैमली लॉ हैं। पर इस कानून के लागू होने पर कोई भी तीन तलाक नहीं दे सकता, रजिस्ट्रेशन के बिना शादी कानूनी नहीं मानी जाएगी।
तलाक सिर्फ कोर्ट के जरिए ही मान्य हो सकेगा। पेरेंट्स यानी माता-पिता को प्रॉपर्टी की आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा, जिसमें बेटियां भी शामिल होंगी। भारत में अब तक सिर्फ गोवा में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है। अब उत्तराखंड की धामी सरकार भी इस पर काम कर रही है।
क्यों किया जा रहा UCC का विरोध
इस कानून को लेकर धर्मिक संगठनों के अलग अलग तर्क है यही वजह है कि आजादी के सालों बाद भी अब तक देश में इसे लागू नहीं किया जा सका। धार्मिक संगठनों का विरोध राजनीतिक सहमति न बन पाने की वजह से अब तक इस कानून को लागू करने पर काम आगे नहीं बढ़ सका था।
भारत एक धर्म निर्पेक्ष देश है मतलब सभी को अपने धर्मों को मानने का अधिकार है। जो लोग Uniform Civil Code का विरोध कर रहे उनका कहना है कि धर्मों के लिए सामान कानून के साथ स्वतंत्रता का अधिकार और समानता का अधिकार के बिच बैलेंस बना पाना काफी मुश्किल होगा।
UCC लागू होने पर क्या क्या बदलाव हो सकते हैं ?
इस कानून के लागू होते ही, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई सभी धर्मों के जो भी पर्सनल लॉ हैं वो खत्म हो जाएंगे। BJP का मानना है कि UCC लागू होने से देश में एकरूपता (One Nation One Law) यानी शादी, तलाक और सपंत्ति से जुड़े सभी के लिए एक जैसे नियम होंगे।
AIMIM के असद्दुदीन अवौसी इस कानून के खिलाफ हैं और वो कहते हैं कि ये यूनिफॉर्म सिविल कोड नहीं हिन्दू सिविल कोड है। इस कानून के जरिए प्रधानमंत्री जितने भी मुस्लिम फैमली लॉ हैं उन्हें इललीगल करार कर देंगे और हिन्दू लॉ को लीगल ट्रीट कर देंगे।
BBC को दिए एक इंटरव्यू में नेशनल लॉ ऑफ कॉलेज में पढ़ा रही सरसू थॉमस Uniform Civil Code में हिन्दुओं को होने वाले नुकसान के बारे में बताया है। उन्होने कहा-यूसीसी आने से हिन्दू अविभाजित परिवार (hindu undivided family) खत्म हो जाएगा। बेटियां भी प्रॉपर्टी में हिस्सेदार होंगी। फिलहाल इस कानून के तहत क्या बदलाव होंगे इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं है।
दुनियाभर में कहां लागू है Uniform Civil Code
समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) दुनिया के कई देशों में लागू हैं। इनमें अमेरिका, सूडान, मिस्र, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्किये, इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं।
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