Bhavani Devi : ओलिंपियन सीए भवानी देवी ने सोमवार को चीन के वुक्सी में एशियाई तलवारबाजी चैंपियनशिप की महिला सेबर स्पर्धा के सेमीफाइनल में हार के बावजूद कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह इस प्रतियोगता में भारत का पहला पदक है। सेमीफाइनल में भवानी (Bhavani Devi) को उज्बेकिस्तान की जेनाब डेयिबेकोवा के खिलाफ कड़े मुकाबले में 14-15 से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने इस प्रतियोगिता में भारत के लिए पहला पदक जीत लिया।
क्लास 6 में चुना फेंसिंग को कैरियर
फेंसिंग (तलवारबाजी) में यहां तक पहुंचने और देश का नाम पूरी दुनिया में रोशन करने के लिए भवानी ने कई चुनौतियों का सामना किया। भवानी चेन्नई के एक सामान्य से परिवार से हैं, और फेंसिंग एक बहुत महंगा गेम है। क्लास 6 में जब भवानी ने फेंसिंग खेलना शुरु किया था तब भारत में इस खेल के लिए इतनी सुविधाएं नहीं थी, और कोचिंग सेंटर भी काफी कम थें। साल 2013 में ऐसा समय भी आया था जब भवानी ने सोचा था कि उन्हें ये खेल छोड़ देना चाहिए।
पिता पूजारी, मां हाउस वाइफ
भवानी देवी (Bhavani Devi) का जन्म 27 अगस्त साल 1993, चेन्नई में हुआ। भवानी के पिता पेशे से पूजारी और मां हाउस वाइफ हैं। भवानी के अलावा उनके पिता के दो बेटे और दो बेटियां भी हैं। पहली बार फेंसिंग को स्पोर्ट्स के रुप में जब भवानी ने चुना था तो उनकी उम्र महज 9 साल थी। उस वक्त ये खेल सिर्फ भवानी के लिए नहीं, बल्कि भारत के लिए भी नया था।
क्यों फेंसिंग को चुना
मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में भवानी देवी (Bhavani Devi) ने बताया था कि वो क्लास 6 में थी जब उन्हें कई स्पोर्ट्स में से एक को चुनना था, पर सब खेलों में जगह भर गई थी, और सिर्फ फेंसिंग में ही सीट खाली थी। ये एक नया खेल भी था, पर भवानी मायूस नहीं हुईं। उन्होंने फेंसिंग को चुना और कुछ नया करने की ठानी। छोटी सी उम्र में लिए गए फैसले ने आज उनका और उनके देश का नाम रौशन किया है।
बांस के तलवार से करती थीं प्रैक्टिस
भवानी बताती हैं, कि शुरु में उन्होंने बांस के तलवार से प्रैक्टिस करनी शुरु की, फिर धीरे-धीरे जब वो अच्छा खेलने लगीं और नेशनल लेवल पर पहुंची तो उनके हाथ में बिजली सी चलने वाली तलवार आई। अपनी मेहनत और लगन से भवानी ने फेंसिंग में आज भारत को पहचान दिलाई है। टेनिस प्लेयर सेरेना विलियम्स और फेसिंग प्लेयर मरियल जगुनिस भवानी देवी की प्रेरणा हैं।
जापान के खिलाड़ी को हाकर पहुंची क्वार्टर फाइनल में
भवानी (Bhavani Devi) ने क्वार्टर फाइनल में गत विश्व चैंपियन जापान की मिसाकी एमुरा को 15-10 से हराकर उलटफेर कर दिया। मिसाकी के खिलाफ यह भवानी की पहली जीत थी। इससे पहले उन्होंने जापान की खिलाड़ी के खिलाफ अपने सभी मुकाबले गंवाए थे। भवानी को राउंड ऑफ 64 में बाई मिली थी जिसके बाद अगले दौर में उन्होंने कजाकिस्तान की डोस्पे करीना को हराया। भारतीय खिलाड़ी ने प्री क्वार्टर फाइन में भी उलटफेर करते हुए तीसरी वरीय ओजाकी सेरी को 15-11 से हरा दिया।
भारतीय तलवारबाजी संघ के महासचिव राजीव मेहता ने भवानी देवी को उनकी एतिहासिक उपलब्धि पर बधाई दी है। मेहता ने कहा यह भारतीय तलवारबाजी के लिए बेहद गौरवपूर्ण दिन है। भवानी ने वह किया है जिसे इससे पहले कोई और हासिल नहीं कर पाया। वह प्रतिष्ठित एशियाई चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भरातीय तलवारबाज है। पूरे तलवारबाजी जगत की ओर से उन्हें बधाई।
सेमीफाइनल में 1 अंक से हारी
भले ही भवानी सेमीफाइनल में हार गईं, पर मुकाबला काफी करीबी था। सिर्फ 1 अंक का अंतर था। इसलिए यह बड़ा सुधार है। ओलिंपिक में क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय तलवारबाज बनीं भवानी टोक्यो गेम्स में राउंड ऑफ 32 से बाहर हो गई थीं।
फेंसिंग क्या है ?
1896 से मॉर्डन ओलिंपिक की शुरुआत से ही फेंसिंग स्पोर्ट्स का हिस्सा है। पर शुरुआत में लोगों की नजर में नहीं आ सका। वक्त के साथ-साथ लोगों की रुची इसमें बढ़ी और आज ये काफी लोकप्रीय और महंगा स्पोर्ट्स है। खिलाड़ियों के कॉस्ट्यूम्स से लेकर तलवार तक हर चीज में धीरे धीरे बदलाव आया और फेसिंग पूरी तरह मॉडर्न गेम हो गया। इसमें हर सही मूव देने पर हरी लाइट और गलत अटैक करने पर रेड लाइड शो की जाती है।
फेंसिंग के 3 फॉर्मेट होते हैं – द फॉयल, साबरे और ऐपे। भवानी देवी जो फॉर्मेट खेलती हैं उसे साबरे कहते हैं। इसमें खिलाड़ी को तलवार के किसी भी हिस्से से हमला करने की अनुमति होती है। खिलाड़ी को अपने अपोनेंट यानी वरिधी के कमर के ऊपर के किसी भी हिस्से पर हमला करना होता है, जो भी प्लेयर पहले 15 प्वाइंट्स बना लेता है उसे विनर घोषित किया जाता है।
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