Conversion and Love Jihad : कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की ओर से मतांतरण विरोधी कानून (Conversion and Love Jihad) रद्द किए जाने की कवायद के बीच उत्तर प्रदेश की योगी सरकार फिर से ट्रेंड यानी चर्चाओं में है। उत्तर प्रदेश में मतांतरण विरोधी कानून लागू होने के बाद मतांतरण और लव जिहाद के मामलो में काफी हद तक अंकुश लगा है। उत्तर प्रदेश में मतांतरण के मामलों में अब तक 427 मामले दर्ज कर 833 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
27 नवंबर 2020 को लागू हुआ मतांतरण विरोधी कानून
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 27 नवंबर 2020 को मतांतरण विरोधी कानून (Conversion and Love Jihad) लागू किया था। उससे पहले प्रदेश में मतांतरण और लव जिहाद के सैकड़ों मामलों की शिकायतें आ रही थीं। कानून लागू होने के बाद सबसे ज्यादा विरोध भी कांग्रेस ने ही किया था। योगी सरकारने इस मामले में अपना रवैया सख्त ही रखा, जिसके चलते प्रदेश में मतांतरण के मामलों की संख्या में कफी ज्यादा गिरावट आई है।
मतांतरण के 427 केस दर्ज, 833 गिरफ्तार
30 अप्रैल 2023 तक मतांतरण (Conversion and Love Jihad) के 427 मामले दर्ज किए गए, जबकि 833 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। 185 मामलो में पीड़ितों ने कोर्ट के सामने जबरन मतांतरण की बात कबूली है। वहीं नाबालिगों का मतांतरण करवाने को लेकर अब तक 65 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
इस शहर में मतांतरण के सबसे ज्यादा मामले
बरेली में मतांतरण के सबसे ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। मतांतरण के अभियान में जुटे लोगों ने दिव्यांगों को भी नहीं बख्शा। दिव्यांगों का मतांतरण करवाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ पुलिस ने किया था। इस कानून के तहत लव जिहाद को रोकने के लिए अंतर धार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों की शादी करने से दो महीने पहले जिला मजिस्ट्रेट को सूचित करने का प्रविधान किया गया है।
कानून लागू (Conversion and Love Jihad) होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपष्ट किया था कि बेटियों की सुरक्षा और सम्मान के लिए उनकी सरकार प्रतिबद्ध है।
इन परिस्थितियों में लोगू होता है मतांतरण कानून
- धोखे में रखकर, लालच देकर, जबरन या किसी अन्य तरह से दबाव देकर, विवाह कर मतांतरण करवाया जाता है।
- यदि नाबालिग, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला का मतांतरण करवाया जाता है।
- यदि सामूहिक मतांतरण करवाया जाता है।
- सिर्फ शादि के लिए मतांतरण किया जा रहा है तो वह विवाह अमान्य होगा।
क्या है सजा
– दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को अपराध की गंभीरता के आधार पर 10 साल तक की जेल। जुर्माना की राशी 15 हजार से 50 हजार तक
– जबरन मतांतरण कराने पर कम से कम 15 हजार रुपये के जुर्माने के साथ एक से पांच साल की कैद की सजा
– एससी व एसटी समुदाय के नाबालिगों और महिलाओं के मतांतरण पर 3 से 10 साल की सजा
– जबरन सामूहिक मतांतरण के लिए 3 से 10 साल जेल और 50 हजार जुर्माना
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