3D Printed Temple : दुनिया का पहला 3D प्रिंटेड हिन्दू मंदिर (3D Printed Temple) भारत में बनने जा रहा है। ये मंदिर तेलंगाना में बन रहा है, और इसे बनाने की जिम्मेदारी अप्सूजा इंफ्राटेक को मिली है। इस मंदिर के बनने में अप्सूजा इंफ्राटेक की मदद सिंपलीफोर्ज क्रिएशन्स कर रही है। इस मंदिर को तीन पार्ट में बांटा गया है। इसे 3800 वर्ग फूट में बनाया जा रहा है। मंदिर में तीन अलग-अलग शेप के गर्भगृह भी बनाया जा रहा है, जो तीन भगवानों को डेडिकेटेड है। आइये जानते हैं इससे जुड़ी कुछ और खास बातें।
ये मंदिर (3D Printed Temple) भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश को समर्पित रहेगा। दुनिया के पहले 3D प्रिंटेड मंदिर का निर्माण तेवंहाना रेसिद्दीपेट के बुरुगुपल्ली में एक चरविथा मीडोज समुदाय के गेटेड विल्ला में अंदर किया जा रहा है।
अप्सुजा इंफ्राटेक के MD हरिकृष्ण जीदीपल्ली ने बताया कि, इस मंदिर में बनाए गए 3 गर्भगृह में से पहला मोदक के आकार का है जो भगवान गणेश को समर्पित है।
दूसरा गर्भगृह वर्गाकार के आकार का बनाया गया है जो भगवान शिव को समर्पित है। वहीं तीसरा गर्भगृह कमल के फूल के आकार का बनाया गया है, जो मां पार्वती को समर्पित किया गया है।
इंजीनियर्स के मुताबिक, मोदक के आकार वाले गर्भगृह के गुम्मद को बनाना आसान नहीं था, फिर भी टीम ने 10 दिन के अंदर ये काम पूरा कर लिया। जुलाई तक मंदिर बनने की संभावना है।
मंदिर (3D Printed Temple) में मूर्तियों से लेकर इंफ़्रॉस्ट्रक्चर को 3D प्रिंटेड टेक्नोलॉजी की मदद से तैयार किया जाएगा।
3D प्रिंटिंग के फायदे
3D प्रिंटिंग एक कंप्यूटर मेड डिज़ाइन होता है, जिससे लेयर टू लेयर, 3 डायमेंशनल डिज़ाइन तैयार किया जाता है। ये 3D प्रिंटर के जरिए तैयार होता है। इसके साथ ही 3D प्रिंटिंग में इस्तेमाल होने वाले प्रिंटर योगात्मक विनिर्माण (Additive Manufacturing) पर बेज्ड होते हैं।
इस टेक्नोलॉजी की मदद से समय की भी बचत होती है और प्रोडक्शन क्षमता (Production Capacity) में भी बढ़त होती है। निर्माण के दौरान इस बात का भी ध्यान रख सकते हैं कि इससे पर्यावरण पर क्या विपरीत प्रभाव पड़ सकता है और उसे कम कैसे किया जा सकता है।
बता दें, इसी साल 2023 मार्च में सिम्पलीफोर्ज क्रिएशंस ने IIT हैदराबाद के साथ मिलकर दो घंटे से भी कम समय में भारत का पहला ‘प्रोटोटाइप’ पुल निर्मित किया था। इस ब्रिज का कॉन्सेप्ट और डिज़ाइन प्रोफ़ेसर केवीएल सुब्रमण्यम और IIT हैदराबाद के सिविल इंजीनियरिंग ग्रुप के रिसर्चर्स ने तैयार किया है।
सिपलीफॉर्ज क्रिएशन्स के CEO ध्रुव गांधी के अनुसार, इस ब्रिज को भी 3D प्रिंटेड मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल किया गया है। ताकि मंदिर के अंदर पैदल यात्रियों के इस्तेमाल में आ सके। इसे मंदिर (3D Printed Temple) के गार्डन एरिया में इस्तेमाल के लिए चालू किया गया है, जिस पर पैदल यात्री और दर्शनार्थी आ जा सकेंगे।
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