Chhattisgarh Officer : अपना महंगा फोन वापस पाने के लिए तीन दिनों तक बांध से 21 लाख लीटर पानी बहाने वाले अधिकारी (Chhattisgarh Officer) को छत्तीसगढ़ सरकार ने सस्पेंड कर दिया। जी हीं, सही पढ़ा- 96 हजार का फोन 15 फुट गहरे बांध में गिर गया तो अधिकारी साहब ने 21 लाख लीटर पानी ही बहा दिया था। और जब मामला बढ़ा तो अधिकारी जिनका नाम है राजेश विश्वास ने अपनी कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि पानी सिंचाई के लिए अनुपयोगी था, और उन्हें उनके सीनियर ऑफिसर से इसे बहाने की परमिशन मिली थी।
खाद्य अधिकारी राजेश विश्वास (Chhattisgarh Officer) ने फोन पानी में गिरने के बाद बांध को खाली कराने के लिए 30 पंप मंगवाए थे। तीन दिनों तक रिजरवॉयर में से 21 लाख लीटर पानी बहाया गया, जो 1500 एकड़ खेत की सिंचाई के लिए पर्याप्त था। आखिर में तीन दिन बाद राजेश को उनका फोन तो मिला, पर वो बेकार हो चुका था।
5 Points में जानिये ये पूरा मामला –
1 – खाद्या अधिकारी राजेश विश्वास (Chhattisgarh Officer) कांकेर जिले के खेरकट्टा परालकोट जलाशय (Reserviour) में छुट्टी का आनंद ले रहे थे। उन्होंने सेल्फी लेने के दौरान अपने सैमसंग S23 फोन को गहरे पानी में गिरा दिया। अपने महंगे फोन को वापस लेने के लिए सिंचाई विभाग के पास पहुंचे। विश्वास ने दावा किया कि उन्हें 15 फीट गहरे पानी वाले बांध से 3-4 फीट गहरा पानी निकालने की अनुमति मिली थी।
2 – जब मामला सामने आया तो पता चला कि पानी का स्तर 10 फीट से ज्यादा नीचे जा चुका है। फिर, राजेश विश्वास ने कहा कि डीजल पंप लगाकर “बेकार जल” निकालने में लगभग 8,000 रुपये खर्च हुए और कोई भी किसान उनके इस कार्य से प्रभावित नहीं हुआ। उन्होंने अपना फोन भी मिल गया, उन्होंने दावा किया कि काफी सारे जरूरी कॉन्टेक्ट्स थें, लेकिन फोन पानी में जाने के कारण बेकार हो चुका था।
3 – अब राजेश विश्वास और जल संसाधन विभाग के अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) आरसी धीवर, वरिष्ठ अधिकारी, जिन्होंने मौखिक रूप से पानी निकालने की अनुमति दी थी, दोनों कटघरे में हैं। विश्वास को निलंबित कर दिया गया है और धीवर को गर्मी के चरम पर पानी की भारी बर्बादी के लिए भुगतान करने के लिए कहा गया है। एक दिन के अंदर जवाब नहीं देने पर एसडीओ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
4 – इससे भी ज्यादा अजीब बात यह है कि राजेश विश्वास (Chhattisgarh Officer) ने खुद को बचाने के लिए सभी पर दोष मढ़ दिया। विश्वास ने इंडिया टुडे को बताया कि जलाशय में जब ग्रामीणों ने गोता लगाया लेकिन उनका फोन नहीं मिला, तो उन्होंने ग्रामीणों ने उन्हें गंदा पानी निकालने की सलाह दी। अधिकारी ने कहा कि उनका मानना है कि 99 परसेंट संभावना थी कि उनका फोन मिल सकता था।
5 – विश्वास ने यह भी कहा कि जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने उन्हें बताया कि पानी का किसी भी काम के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता, इसलिए उन्होंने इसमें से कुछ पानी निकाल दिया। भाजपा ने सरकारी अधिकारियों पर क्षेत्रों को अपनी “पैतृक संपत्ति” के रूप में उपयोग करने का आरोप लगाया है। पूर्व सीएम रमन सिंह ने कहा कि भीषण गर्मी में लोग पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं और एक अधिकारी ने 21 लाख लीटर पानी निकाल कर बर्बाद कर दिया।
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