Hirabai Lobi of Siddi tribe : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कला, विज्ञान और सामाजिक जीवन से जुड़े 106 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया है। इनमें एक एक औरत हैं, समाजसेवी हीराबाई लोबी, जिन्होंने 700 से अधिक बच्चों और महिलाओं के जीवन में बदलाव लाया है। हीराबाई (Hirabai Lobi of Siddi tribe) को जब पद्म सम्मान के लिए बुलाया गया तो वो भावुक हो गईं और पीएम मोदी के सामने आकर अपना आंचल फैलाकर कुछ कहा। इसके बाद राष्ट्रपति के कंधे पर प्यार से हाथ रखकर उन्हें आशीर्वाद भी दिया। ये वीडियो क्लिप काफी वायरल भी हो रहा है। आइये जानते हैं कौन है हीराबाई लोबी और उन्होंने पीएम मोदी से क्या कहा।
पद्मश्री सम्मान लेने के लिए जब हीराबाई लोबी (Hirabai Lobi of Siddi tribe) आगे बढ़ीं तो सबसे आगे बैठे पीएम मोदी, ओम बिड़ला, अमित शाह के सामने रुक गईं। पीएम मोदी ने हाथ जोड़कर उन्हें नमस्कार किया। हीराबीई लोबी ने अपना आंचल फैला कर पीएम मोदी से कुछ कहा, जिसके बाद पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हीराबाई ने कहा –
‘मेरे प्यारे नरेंद्र भाई, आपने हमारी झोली खुशियों से भर दीं। किसी ने हमें कोई मान्यता नहीं दी और किसी ने भी हमारे बारे में तब तक परवाह नहीं की जब तक आपने नहीं की। आप हमें सबसे आगे लाएं’
इसके बाद हीराबाई (Hirabai Lobi of Siddi tribe) पद्मश्री लेने राष्ट्रपति मुर्मू के पास जाती हैं, और प्यार से उनके कंधे पर हाथ रखकर उनकी बलाएं उतारती दिखीं। उन्होंने इस दौरान राष्ट्रपति मुर्मू से भी कुछ बातें की। फिर पद्मश्री पुरस्कार लिया और फोटो खिंचवा कर आगे की ओर बढ़ गईं।
कौन है हीराबाई लोबी । हीराबाई लोबी ने सिद्दी समुदाय के लिये क्या किया –
हीराबाई इब्राहिम लोबी (Hirabai Lobi of Siddi tribe) गुजरात के जम्बूर गांव की अफ्रीकी मूल की सिद्दी जनजाति से हैं। यह गाँव गिर के जंगलों के पास स्थित है जो एशियाई शेरों का घर है।
हीराबाई लोबी जीवन का एक बड़ा हिस्सा सिद्दी समुदाय की महिलाओं के उत्थान के लिए काम करने को समर्पित है। अब तक उनकी मदद ने 700 से अधिक महिलाओं और असंख्य बच्चों के जीवन को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
हीराबाई बचपन के दिनों से ही काफी सक्रिय रही हैं। वे रेडियो के माध्यम से महिला विकास योजनाओं की जानकारी प्राप्त करती थीं।
आगाखान फाउंडेशन पहला संगठन था जहां उन्होंने एक किसान संगठन BAIF के साथ जुड़कर महिलाओं को अधिक आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से एक अभियान शुरू किया। उन्होंने अब तक 700 से अधिक महिलाओं को बैंक खाते खोलने और पैसे बचाने में मदद की है।
कम उम्र में अपने माता-पिता को खोने के बाद हीराबाई को उनकी दादी ने पाला था। उन्होंने सीमांत सिद्दी समुदाय के बच्चों को बुनियादी शिक्षा प्रदान करने के साथ कई किंडरगार्टन की स्थापना की है।
सिद्दी समुदाय की महिलाओं की मदद के लिए उन्होंने साल 2004 में महिला विकास फाउंडेशन की स्थापना की और तब से सिद्दी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास कर रही हैं। हीराबाई के प्रयासों से असंख्य परिवारों को मदद मिली है क्योंकि महिलाओं ने खेती के अलावा किराने की दुकानों और सिलाई में भी काम करना शुरू कर दिया है।
हीराबाई को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, लेकिन जब उन्हें अपना पहला $500 का पुरस्कार मिला, तो उन्होंने सारा पैसा अपने गांव के विकास में लगा दिया।
2001 में गुजरात कृषि विश्वविद्यालय, जूनागढ़ ने हीराबाई लोबी को ‘सम्मान पत्र’ से नवाजा था। ये सम्मान हीराबाई को साल 2007 और 2012 में भी मिला था। साल 2002 में हीराबाई को वुमेंस वर्ल्ड समिट फाउंडेशन (Women’s world summit Foundation) की ओर से सम्मानित किया गया। साल 2006 में हीराबाई को जानकी देवी सम्मान पुरस्कार ने सम्मानित किया गया था।
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