Virtual Autism : बच्चों को मोबाइल फोन थमा कर अपने काम या मनोरंजन में व्यस्थ रहने वाले पैरेंट्स बच्चों को एक गंभीर बीमारी की ओर ढकेल रहे हैं। पारिवारिक व सामाजिक माहौल से दूर ये बच्चे बोलना ही नहीं सीख पा रहे। कोशिश करने पर उनके मुंह से म, ए, ऐं, ऊ जैसी आवाज ही निकल पा रही। इसके चलते उन्हें इशारों से काम चलाना पड़ रहा है। मेडिकल साइंस की भाषा में वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) कहते हैं।
2 से 5 साल के बच्चों पर हुआ रिसर्च
वर्चुअल ऑटिज्म (Virtual Autism) से पीड़ित ऐसे बच्चों का अच्छा स्कूलों में एमडमिशन भी नहीं हो पा रहा। यह चिंताजनक तस्वीर दो से पांच साल तक के 350 बच्चों पर हुए अध्ययन में सामने आई है। सेंट एंड्रयूज कॉलेज की मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ श्वेता जॉनसन ने जिला अस्पताल के मानसिक रोग विभाग संग मिलकर जनवरी 2023 में इस पर काम शुरु किया।
चिंताजनक तस्वीर आई सामने
ऐसे लक्षण वाले बच्चों की लिस्ट उन्हें गर्वन्मेंट हॉस्पिटल और स्कूलों से मिली। इसमें वह बच्चे शामिल थे जिनका मोबाइल पर हर दिन एवरेज स्क्रीन टाइम दो से तीन घंटे रहा। ओपीडी में डॉक्टरों की राय लेने के साथ उन्होंने बच्चों और पैरेंट्स से भी बात की। 350 बच्चों पर हुए अध्ययन में 210 से अधिक ऐसे बच्चे मिले जो कुछ भी साफ नहीं बोल (Virtual Autism) पा रहे थे।
बिना मोबाइल देखे खाना ही नहीं खाते ऐसे बच्चे
100 से अधिक बच्चों में डिले स्पीच (आवाज देर से निकलना या हकलाना) की समस्या थी। इन बच्चों का दिमाग तो चल रहा लेकिन वह जुबान पर भाषा के रुप में परिवर्तित नहीं हो पा रहा था। 30 ऐसे भी बच्चे मिले जो कहने पर कुछ समझ नहीं पा रहे थे। उनसे पेंसिल उठाने को कहा गया लेकिन वह उठा नहीं सके। कुछ बच्चे ऐसे भी मिले जो खाना खाने के वक्त मोबाइल न देखें तो उन्हें खिलाया ही नहीं जा सकता।
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