Judges who were made Governors : सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एस अब्दुल नजी़र को आंध्रप्रदेश का राज्यपाल बनाने के बाद से कांग्रेस ने केंद्र सराकर के इस डिसीजन पर सवाल उठाने शुरु कर दिये। पर ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब किसी जज को राज्यपाल या रिटायर्ड होने के बाद कोई दूसरा जिम्मेदारी भरा पद दिया गया हो। इन्फैक्ट, इसकी शुरुआत ही कांग्रेस ने की थी। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ही इसकी शुरुआत की थी। तो चलिए जानते हैं, जिस्टिस एस अब्दुल नजीर से पहले किन जजों को राज्यपाल बनाया गया। और कांग्रेस ने कब इसकी शुरुआत की।
पहले रिटायर्ड जज जिन्हें बनाया गया राज्यपाल
जस्टिस सैयद फजल अली पहले ऐसे जज (Judges who were made Governors) थें, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद राज्यपाल बनाया गया था। पं जवाहर लाल नेहरू ने मई 1952 में सुप्रीम कोर्ट के रिटार्ड जज जस्टिस एस फजल अली को ओडिसा का राज्यपाल बनाया था। जस्टिस एस फजल अली 15 अक्टूबर 1951 से 30 मई 1952 तक पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रहे थे। जस्टिस एस फजल अली को असम का भी राज्यपाल बनाया गया था। वो राज्य पूनर्गठन आयोग के अध्यक्ष भी रहे थे।
फातिमा बीबी को बनाया गया था तमिलनाडू का राज्यपाल
सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज रही, रिटायर्ड जस्टिस फातिमा बीबी (Judges who were made Governors) को भी 25 जनवरी 1997 को तमिलनाडू का राज्यपाल बनाया गया था। इसी साल जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे जिस्टिस सुखदेव सिंह को भी केरल का राज्यपाल बनाया गया था। ये सभी नियुक्तियों भी कांग्रेस सरकार में ही हुई थी।
मोदी सरकार की बात करें तो, 2014 में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस पी सतशिवम (Judges who were made Governors) को केरल का राज्यपाल बनाया गया था। उन्हें 5 सितंबर 2014 को केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। इससे ये पता चलता है कि रिटायर्ड जजों को राज्यपाल बनाने की परंपरा कोई नयी तो नहीं है।
राज्यपाल के अलावा भी दिया गया दूसरा पद
राज्यपाल के अलावा भी कई ऐसे पद हैं, जहां रिटार्ड जजों को नियुक्त किया गया है। जैसे बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमसी छागला को जवाहर लाल नेहरू ने अमेरिका में भारत का राजदूत बनाकर भेजा था। एमसी छागला केंद्र में शिक्षामंत्री और विदेश मंत्री भी रहे।
कांग्रेस ने ही शुरु की थी परंपरा
सुप्रीम कोर्ट के जजों को रिटायर्मेंट के बाद राज्यसभा में भी भेजने की परंपरा रही है। इसकी शुरुआत इंदिरा गांधी ने की थी, जिन्होंने 1983 में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बहरुल इस्लाम को राज्यसभा में भेजा था। जस्टिस बहरुल जज बनने से पहले 1962 से 1972 तक राज्यसभा के सांसद भी रह चुके थे। 1972 में उन्होंने राज्यसभा के पद से इस्तीफा दे दिया। क्योंकि उन्हें आसाम और नागालैंड कोर्ट में जज के पद पर नियुक्त किया गया था।
21वें चीफ जस्टिस रहे जस्टिस रंगनाथ मिश्रा को कांग्रेस ने 1998 में राज्यसभा भेजा था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे रंजन गोगोई को साल 2020 में राज्यसभा भेजा गया। रिटायर्ड जज जस्टिस हिदायतुल्ला को रिटायर्मेंट के साढ़े सात साल बाद देश का उप राष्ट्रपति बनाया गया था। 31 अगस्त 1979 से लेकर 30 अगस्त 1984 तक देश के हिदायतुल्ला उप राष्ट्रपति रहे।
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