Nepal Plane Crash : नेपाल के पोखरा में रविवार को हुई विमान दुर्घटना में पांच भारतीयों की भी मौत हो गई। इनमें गाजीपुर के चार युवक भी शामिल हैं। विमान दर्घटना से कुछ मिनट पहले का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरलो हो रहा है, जो गाजीपुर को सोनू जायसवाल ने बनाया था। वो प्लेन में फेसबुक लाइव कर रहे थे। प्लेन लैंडिंग से 10 सेकेंड पहले क्रैश हो गया। शुरुआती जांच में कहा जा रहा कि प्लेन (Nepal Plane Crash) टेक्निकल कारणों से क्रैश हुआ, क्योंकि प्लेन में हवा में ही आग लग गई थी। पिछले कई सालों में अलग-अलग कारणों से विमान दुर्घटनाएं होती रहती है। वो कारण कौन-कौन से हैं, और क्यों नेपाल में ही प्लेन क्रैश की ज्यादा घटनाएं होती है, चलिए समझते हैं।
नेपाल में प्लेन क्रैश की ज्यादा दुर्घटनाएं
नेपाल में विमानों के दुर्घटनाग्रस्त (Nepal Plane Crash) होने के पीछे कई कारण हैं। यहां पहाड़ी इलाका होने के साथ ही हवाई पट्टियां पर्वतीय क्षेत्रों में हैं। माउंट एवरेस्ट समेत आठ सबसे ऊंचे पहाड़ नेपाल में हैं। दुनिया का सबसे डेंजरस एयरपोर्ट भी नेपाल में है। इसका कारण ये है कि, पहाड़ों के बीच चट्टानों को काटकर बनाए गए Runway पर प्लेन लैंड करना आसान नहीं है। रनवे के एक तरफ पहाड़, तो दूसरी तरफ खाई इसलिए जरा सी चूक किसी बड़े हादसे का कारण बन जाती है। पर्याप्त प्रशिक्षित एविएशन स्टाफ की भी कमी और विमानों के रखरखाव के लिए बेहतर गुणवत्ता के मानकों का पालन न किया जाना।
पिछले 10 सालों में Nepal में करीब 20 प्लेन क्रैश हो चुके हैं। इसमें तारा एयर और येती एयरलाइन्स की फ्लाइट्स ज्यादा हैं। अलग-अलग हादसों में क्रैश के अलग कारण बताए जाते रहे हैं। कभी खराब मौसम, कभी कम दृश्यता और ऊपर से पहाड़ी इलाका नेपाल में हवाई सफर को खतरनाक और रिस्का बना देता है।
खराब मौसम में उड़ान
विमान दर्घटना का सबसे मेन कारण मौसम का खराब होना होता है। खराब मौसम में विमान हवा के दबाव के कारण अपनी दिशा से भटक जाता है और एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) नेविगेशन से भी संपर्क टूट जाता है ऐसे में पायलट को अपने विवेक से रास्ता खोजने के दौरान सही रास्ता न मिलने पर विमान दुर्घटनाग्रस्त (Nepal Plane Crash) हो जाता है।
प्लेन में ईंधन खत्म हो जाना
प्लेन में दुर्घटना का कारण प्लेन में ईंधन का खत्म होना प्रमुख कारण है। विमान के दोनों विंग्स में विमान के तिरथा होने पर पूरा ईंधन एक दिशा की ओर पलट सकता है, इसलिए अलग अलग चैंबर होते हैं। सभी चैंबर एक दूसरे से जुड़े होते हैं। एच चैंबर में ईंधन खत्म होने पर दूसरे चैंबर से आपूर्ति शुरु हो जाती है। कई बार ईंधन होते हुए भी सप्लाई न होने के कारण इंजन बंद हो जाने से विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है।
बर्ड हिटिंग
प्लेन को कई बार बर्ड हिटिंग यानी पक्षियों के टकराने से नुकसान पहुंचता है। कभ कभी इस टक्कर से विमानन के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा भी होता है।
कम दृश्यता से प्लेन लैंड न हो पाना
खराब मौसम में दृश्यता कम होने के कारण विमान कई बार लैंड नहीं कर पाता और हवा में कई चक्कर लगाता है इस दौरान भी ईंधन खत्म होने का खतरा रहता है और ऐसे में विमान दुर्घटना की आशंका ब़ढ़ जाती है। ऐसे में मौसम खराब होने पर विमान को पास के एयरपोर्ट पर डायवर्ट कर दिया जाता है।
विमान में तकनीकी खराबी
कई बार उड़ते समय विमान में टैकनिकल खराबी आ जाता है, जिसके कारण भ दुर्घटना हो जाती है। लैंडिंग के वक्त कई बार विमान के पहिये नहीं खलु पाते। ऐसा होने पर भी विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।
भूल या पायलट की गलती भी कारण
कई बार ऐसा भी होता है कि पायलट डिसिजन लेने में गलती कर देते हैं, जिस कारण भी विमान दुर्घटनाएं होती है। उड़ान के वक्त विमान एटीसी की निगरानी में जरूर होता है, लेकिन निर्णय पायलट का ही होता है।
ईंधन का पाइप लीक हो जाना
प्लेन के ईंधन की आपूर्ति का पाइप में लीकेज होने के कारण भी ईंधन की सप्लाई बाधित हो जाती है और हादसा होने का खतरा बढ़ जाता है।
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