Train accident compensation : बीते 2 दिसंबर को अलीगढ़ ट्रेन हादसे में सम्बल घुसने से मारे गए यात्री की पत्नी को रेलवे ने 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी है। क्या आपको भी पता है कि अगर ऐसा हादसा किसी के साथ ट्रेन में होता है तो रेलवे मुआवजा देती है। जो ट्रेन की टिकट आप खरीदते हैं वो सिर्फ टिकट नहीं बल्की आपका इंश्योरेंस कार्ड भी है। पर क्या आप ये जानते है कि अगर यात्री के पास टिकट नहीं है तो भी यात्री मुआवजे का हकदार होता है। तो चलिए जानते हैं कब, कौन और कैसे ये मुअवाजा ले सकता है और टिकट कैसे आपका इंश्योरंस कार्ड है।
रेलवे एक्ट 1989 की धारा 124 के तहत किसी यात्री का एक्सीडेंट हो या उसकी अचानक मौत हो जाए तो उसे मुआवजा (Train accident compensation) दिया जाता है। पर ये भी जान ले कि ऐसा भी नहीं है कि ये मुआवजा पीड़ित या मृतक के परिवार को तुरंत ही मिल जाता है। इसके लिए भी कई नियम (Railway Rules)और क्लॉज़ है, जिनके हिसाब से यात्री के परिवार को मुआवजा मिल सकता है।
इन परिस्थितियों में मिलता है मुआवजा –
रेलवे एक्सीडेंट में घायल या फिर मौत होना।
ट्रेन में सफर करने के दौरान कोई हादसा हो जाए।
सफर पूरा होने पर ट्रेन से उतरते समय कोई हादसा होने पर
प्लैटफॉर्म पर हादसा होने पर
भीड़ भरी ट्रेन से गिरकर घायल होने पर रेलवे को मुआवजा देना होगा
इन परिस्थितियों में नहीं मिलता कोई मुआवजा –
आत्महत्या करने के लिए रेलवे का सहारा लेना।
चलती ट्रेन के सामने खड़े हो जाना या जानबुझकर आ जाना।
ट्रेन से कूदने पर रेलवे कोई मुआवजा नहीं देता।
ऐसी परिस्थितियों की जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन की नहीं होती।
इसके अलावा कोई यात्री सुसाइड करने के दौरान बच जाता है, या फिर चोटिल होने पर भी उसे कोई (Train accident compensation) मुआवजा नहीं दिया जाता। बल्कि यात्री अगर बच जाता है तो फिर उस पर केस भी दर्ज होता है।
बिना टिकट यात्रा करने वाले यात्री के साथ कोई हादसा होने पर उसकी जिम्मेदारी भी रेलवे की होगी। क्योंकि सिर्फ टिकट न होने पर यात्री या उसकी फैमिली के दावे को खारिज नहीं किया जा सकता। इस स्थिति में यात्रा से संबंधित डॉक्यूमेट्स देना जरुरी होते हैं।
मुआवजा सभी तरह की घटनाओं पर लागू होता है। दुर्घटना के लिए किसी यात्री को जिम्मेदार ठहराते हुए रेलवे मुआवजा (Train accident compensation) देने से कन्नी नहीं काट सकता है। इसके अलावा रेलवे परिसर या ट्रेन में किसी की नेचुरल डेथ होती है, जैसे हार्ट अटैक तो भी इस परिस्थिति में रेलवे कोई मुआवजा नहीं देता क्योंकि नेचरल डेथ के लिए रेलवे जिम्मेदार नहीं होता।
कितना मुआवजा मिलता है, क्या है फॉमुला-
जिस व्यक्ति की रेलवे एक्सीडेंट में मौत हुई हो उसकी कमाई कितनी थी, उसी आधार पर मुआवजा दिया जाता है। हालांकि यात्री और परिवार अपने हिसाब से मुआवजे की रकम तय कर सकते हैं। मुआवजा कितना देना और कितना नहीं इसका फैसला Tribunal करता है।
जरुर करे 1 रुपये का इंश्योरेंस
टिकट बुक करते वक्त अक्सर आपने ध्यान दिया होगा कि पेमेंट करते समय 1 रुपये का इंश्योरेंस टिकट में ऐड होता है। ज्यादातर लोग इस पर ध्यान ही नहीं देते, पर इसी इंश्योरेंस से यात्री या उसका परिवार 10 लाख रुपये तक का इंश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं। पहलो ये 1 रुपया का इंश्योरेंस जरुरी था, पर अब सरकार ने इसे ऑप्शनल कर दिया है।
इतना मिलता है मुआवजा
पार्शियल डिसैबिलिटी के कंडिशन में 7.5 लाख रुप का इंश्योरेंस मिलता है। और अगर गंभीर चोट लगी है तो 2 लाख रुपये तक का हॉस्पिटल बिल रेलवे देती है। और इसके अलावा हादसे में मारे गए यात्री का शव लाने और ले जाने के लिए रेलवे 10 हजार रुपये भी देती है। हादसे के अलावा इस टिकट इंश्योरेंस सामान चोरी होने पर भी वैलिड होता है, तो अगली बार जब आप टिकट खरीदें तो एक रुपये का इश्योरेंस लेना बिलकुल न भूले।
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