Kohinoor : ब्रिटेन के नए राजा किंग चार्ल्स III (King Charles III) का अगले साल 6 मई को राज्याभिषेक होगा। किंग चार्ल्स के साथ क्वीन कंसोर्ट कैमिला (Camilla) को भी क्राउन पहनाया जाएगा। अटकलें लगाई जा रही है कि कैमिला को कोहिनूर (Kohinoor) वाला ताज पहनाया जा सकता है, लेकिन अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं आया है। कोहिनूर हीरा को औपनिवेशिक काल (colonial period) के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत से ले लिया था और इसे क्वीन विक्टोरिया को गिफ्ट कर दिया था।
Kohinoor से सुसज्जित क्राउन विशेष रुप से 1937 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की मां के राज्याभिषेक के लिए बनाया गया था। कोहिनूर से जुड़ा एक अंधविश्वास भी है कि यह हीरा राजा के लिए अशुभ है, इसलिए ब्रिटेन के राजा के क्राउन में कोहिनूर नहीं लगाया गया। फिलहाल इस टॉपिक पर कभी और डिस्कस करेंगे।
वेस्टमिंस्टर एबी में होगा राज्याभिषेक
किंग चार्ल्स III ने अपनी दिवंगत मां महारानी एलिजाबेथ II की जगह ली है। किंग चार्ल्स III का राज्याभिषेक वेस्टमिंस्टर एबी में होगा। इसकी तैयारी की जा रही है। बकिंघम पैलेस में शनिवार को कहा कि – लंदन के ज्वेल हाउस में रखे गहनों से जुड़े मुकुट को नया रूप दिया जा रहा है। परंपरा के अनुसार राज्याभिषेक के दौरान किंग चार्ल्स III को माणिक, नीलम,, गार्नेट, पुखराज जड़ित सोने का सेंट एडवर्ड क्राउन पहनाया जाएगा।
Some facts about Kohinoor । कोहिनूर हीरे से जुड़े कुछ तथ्य
परशियन भाषा में Kohinoor का मतलब माउंटेन ऑफ लाइट (Mountain of Light) होता है।
काकतीय राजवंश के शासनकाल के दौरान आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा क्षेत्र से कोहिनूर मिला था।
Kohinoor का वजन 793 कैरेट था, बाद में डिजाइनिंग के लिए कई बार काटे जाने के बाद इसका वजन कम हो गया। अब इसका वजन लगभग 105 कैरेट है।
क्वीन विकोटरिया की मौत के बाद, कोहिनूर को एडवर्ड VII की पत्नी, रानी एलेक्जेंड्रा के मुकुट में स्थापित किया गया था, जो 1902 में उनके राज्याभिषेक के समय किया गया था। हीरे को 1911 में क्वीन मैरी के मुकुट और अंत में 1937 में महारानी एलिजाबेथ के मुकुट में ट्रांसफर कर दिया गया था।
अंधविश्वास कह लिजिये या मान्यता पर लोगों की मानना है कि कोहिनूर हीरा शापित है। कहा जाता है कि केवल एक महिला ही कोहूनूर पहन सकती है। किसी राजा के पहनने पर कोहिनूर उसके लिए दुर्भाग्य लेकर आता है। ऐसा इसलिए भी माना जाता है क्योंकि ब्रिटेन जाने के पहले जब जब भारत में किसी राजा ने कोहिनूर पहना या तो उसने अपनी रियासतों को खो दिया और कई को जान भी गवानी पड़ी।
कोहिनूर मुगलकाल में मयूर सिंहासन (Peacock Throne) का भी हिस्सा था।
वर्ष 1526 में बाबर ने अपने लेखों में कोहिनूर हीरे का उल्लेख किया है। और इसके प्रमाण बाबरनामा में मिलते हैं। हीरा उन्हें इब्राहिम लोधी द्वारा सौंप दिया गया था जब उन्होंने “पानीपत की लड़ाई” जीती थी और दिल्ली और आगरा पर विजय प्राप्त की थी।
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