Cases related to Babri Masjid demolition and Gujarat riots closed : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दो बड़े फैसले लेते हुए 1992 में हुई बाबरी मस्जिद विध्वंस और 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े मामलों को बंद करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि बाबरी मस्जिद और गुजरात दंगों को लेकर दायर कई याचिकाओं का अब कोई अर्थ नहीं है। अदालत ने कहा कि अब ऐसी कोई वजह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय याचिकाकर्ता और मामले में आरोपी दोनों की मौत होने के बाद लिया है।
याचिकाकर्ता की 2010 में हो चुकी है मौत
याचिकाकर्ता मुहम्मद असलम भूरे ने साल 1991 में एक याचिका दायर की थी। उन्होंने 6 दिसंबर 1992 में अवमानना याचिका दायर की थी। असलम भूरे की 2010 में मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा याचिकाकर्ता की मौत भी हो गई है, इसलिए अवमानना याचिका का कोई औचित्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस केस में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के खिलाफ अदालत की अवमानना से जुड़े केस को भी बंद कर दिया है।
2019 में सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि को लेकर सुनाया था फैसला
कोर्ट ने कहा कि 2019 में लिए गए निर्णय के कारण इस मामले को अब बनाए रखने की आवश्यकता नहीं है। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में रामजन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुनाया। वहीं मुस्लिमों के लिए अयोध्या में एक अलग स्थान में मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ की जमीन मुहैया कराया है।
2002 के गुजरात दंगा से संबंधित मामले भी बंद
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 में गुजरात में हुए दंगो से जुड़े सभी मामलों में सभी कार्यवाहियों को बंद करने का फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात दंगों के 9 में से 8 मामलों के ट्रायल खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि समय बीतने के साथ मामले अब निष्फल हो गए हैं। 9 में से 8 मामलों में ट्रायल खत्म हो गया है और गुजरात के नरोदा गांव एक मामले में अंतिम बहस चल रही है।
गुजरात दंगा क्या है
27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा में एक ट्रेन को उपद्रवियों ने आग लगा दी थी। ट्रेन की बोगी में सवार 50 से ज्यादा लोग जलकर मर गए थे, इसमें ज्यादातर अयोध्या से लौट रहे कारसेवक थे। इस घटना के बाद गुजरात में दंगा भड़क उठा था। इस मामले को लेकर केंद्र सरकार ने एक कमीशन नियुक्त किया था। कमीशन ने कहा कि, यह महज एक दुर्घटना थी। इस निष्कर्ष से बवाल खड़ा हो गया और कमीशन को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया। इस मामले में 28 फरवरी, 2002 को 71 दंगाई गिरफ्तार किए गए थे।