Lal Bahadur Shastri : दुनिया इस वक्त बहुत कठिन दौर में है, सच मानिये। यह कहना गलत नहीं होगा कि मानवता के इतिहास में समस्याएं इतनी जटिल कभी नहीं रहीं, जितनी अब है। अगर हमने देर किए बिना अब भी समाधान की तरफ सही कदम नहीं उठाए तो बात हाथ से निकल जाएगी। देशों ही नहीं, लोगों के समूहों के बीच से भी आपसी नफरत, अविश्वास और दुर्भावनाओं को मिटाना हर कीमत पर जरुरी हो गया है, लेकिन यह काम ताकत के जोर से नहीं किया जा सकता। यह बातें भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एनुअल फंक्शन में बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर कही थी। आइये उनके 119वीं जयंती पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें और फैक्टस। जो शायद हर भारतीय को तो जरुर जाननी चाहिये।
जो भी बांटने या अलगाव की बात करे, वो सच्चा दोस्त नहीं है
19 दिसंबर 1964 को अलिगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित करते हुए लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) ने कहा था। आप ये कभी न भूलें कि देश के लिए वफादारी आपकी किसी भी वफादारी से पहले है। हमेशा याद रखिये कि पूरा देश एक है और जो भी हमे बांटने या अलगाव की बात करे, वो हमारा सच्चा दोस्त नहीं है। देश तभी तरक्की कर सकता है, जब विभाजनकारी और अलगाववादी प्रवृत्तियों से पूरी तरह दूर रहा जाए। हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, पारसी और बाकी सभी समुदायों को भारतीय होकर एकजुटता के साथ गरीबी से लड़ना चाहिये। बीमारियों से निपटना चाहिये और अशिक्षा से मुक्त होना चाहिये। शास्त्री जी की बात आज के भारत की परिस्थिति पर काफी सटीक बैठती है।
जब शास्त्री जी के कहने पर पूरे देश ने रखा था उपवास
यह बात सन् 1965 की है, दशहरे के दिन दिल्ली के रामलीला मैदान में लाल बहादुर शास्त्री ने देश की जनता को संबोधित किया। उन्होंने देशवासियों से एक दिन का उपवास रखने की अपील की और साथ में खुद भी एक दिन उपवास का पालन करने का प्रण लिया। शास्त्री जी ने कहा- हमें भारत का स्वाभिमान बनाए रखने के लिए देश के पास उपलब्ध अनाज से ही काम चलाना होगा। हम किसी भी देश के आगे हाथ नहीं फैलाएंगे। ऐसा शास्त्री जी ने इसलिए कहा था क्योंकी उस वक्त अमेरिका ने भारत को गेहूं का निर्यात बंद कर देने की धमकी दी थी। लाल बहादुर शास्त्री के आह्वान का देशवासियों पर गहरा असर पड़ा था। देशवासियों ने अपने प्रधानमंत्री के आह्वान पर सप्ताह में एक दिन एक वक्त का खाना छोड़ दिया।
ईमानदारी की मिसाल थे Lal Bahadur Shastri
आज अगर संसद में नेताओं की सैलरी बढ़ाने की बात की जाए तो सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही एक हो जाते हैं। भले ही राष्ट्रहित की बात पर दोनों कुत्ते-बिल्लियों की तरह लड़ते हैं और एक दूसरी की सही बात का भी समर्थन नहीं करते। मगर शास्त्री जी के विचार बिल्कुल अलग थे। आजादी के लड़ाई के वक्त लाला लाजपत राय ने गरीब देशभक्तों की आर्थिक मदद के लिए सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी नाम की संस्था बनाई थी, जो गरीब देशभक्तों के परिवार को 50 रुपये की आर्थिक मदद देता था।
एक बार लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) जेल में थे, तब उन्होंने अपनी पत्नी को खत लिखकर सोसइटी की तरफ से मिलने वाली आर्थिक साहयात के बारे में पूछा था। तब जवाब में उनकी पत्नी ललिता ने बताया कि 40 रुपये में घर खर्च चल जाता है। इस बात का पता चलते ही शास्त्री जी ने सोसाइटी को एक पत्र लिखा कि उनके आर्थिक सहायता की राशि को 50 से घटाकर 40 रुपये कर दी जाए। ताकि बचे हुए पैसों से और भी गरीब देशभक्तों को आर्थिक सहायता मिल सके।
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