Navaratri 2022 : बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में मां दुर्गा का ऐसा भव्य मंदिर है, जिसके पीछे का इतिहास शायद ही लोग जानते हों। नवरात्रि (Navaratri) के मौके पर हर साल यहां लाखों की संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं। वाराणसी के दुर्गाकुंड स्थित देवी कूष्मांडा (Devi Kushmanda) का ये भव्य मंदिर अपने आप में कई सारे चमत्कार और रहस्य समेटे है। मां दुर्गा के चौथे रुप को कूष्मांडा कहा जाता है। देवी कूष्मांडा का ये मंदिर बीसा यंत्र पर स्थापित है, बीसा यंत्र मतलब बीसकोण की यांत्रिक संरचना, जिसपर मंदिर की आधारशिला रखी गई है। इसमें मूर्ति के बजाय यंत्र पूजन किया जाता है। गर्भगृह के कपाट तीन तरफ से खुलते है। 18वीं शताब्दी में बंगाल की महारानी भवानी ने इस विशाल मंदिर और इसमें कुंड बनवाया था।
‘काशी खंड’ में भी मिलता है मंदिर का उल्लेख
माता कूष्मांडा का ये मंदिर पश्चिम भारतीय आर्किटेक्चर कला का अनुसरण कराता है। इसका शिखर नागर शैली में शंक्वाकार व गर्भगृह के आगे अद्र्धमंडप और उसके आगे 12 स्तंभों पर विशाल मंडप है। मंदिर में देवी के साथ ही अन्य विग्रह भी स्थापित हैं। माता कूष्मांडा का यह सिद्ध मंदिर प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है। इस मंदिर का उल्लेख ‘काशी खंड’ में भी मिलता है।
काशिराज सुबाहु के सपने में आई थीं मां
मान्यता के अनुसार, काशिराज सुबाहु दुश्मनों से लड़ते हुए घनघोर जंगल में पहुंचे। थकान के कारण वे पीपल के विशाल पेड़ के नीचे सैनिकों संग आराम कर रहे थें। इस दौरान देवी का स्मरण कर कृपा करने की याचना की। काशिराज सुबाहु की आंख लगी तो सपने में देवी ने यहीं निवास करने की इच्छा जताई।
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बंगाल की महारानी ने बनवाया भव्य मंदिर और कुंड
राजा ने दुश्मनों को हरा कर पीपल के पेड़ के नीचे देवी की उपासना शुरू की। पूजा पाठ के लिए पुरोहित नियुक्त किया और अपना शरीर त्याग दिया। यह भी मान्यता है कि माता कूष्मांडा ने शुंभ-निशुंभ का वध करने के बाद इसी जगह पर विश्राम किया था। बंगाल की महारानी भवानी 18वीं शताब्दी में जब काशी आईं तो उन्होंने यहां मां कूष्मांडा का विशाल भव्य मंदिर और कुंड बनवाया।
लाल पत्थरों से बने इस भव्य मंदिर के एक तरफ दुर्गाकुंड है। मंदिर के निकट ही बाबा भैरोनाथ, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, और माता काली की मूर्तियां अलग से मंदिरों में स्थापित हैं। मंदिर के अंदर एक विशाल हवन कुंड है, जहां हर रोज हवन होता है। दुर्गाकुंड मंदिर काशी के पुरातन मंदिरों में से एक है। दुर्गाकुंड मंदिर के कुछ दूर आगे ही संकटमोचन हनुमान का मंदिर भी स्थित है। नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा के दर्शन की मान्यता है। हर बार नवरात्र में यहां मेला लगता है। लाखों की संख्या में भक्त मां के दर्शन को पहुंचते हैं। हाल ही में इस मंदिर का सुंदरीकरण हुआ है, जिसके बाद इसकी दिव्यता और बढ़ गई है।