End of Atiq-Ashraf : लगभग साढ़े चार दशक पहले की बात है। प्रयागराज (तब इलाहाबाद) के फिरोज तांगेवाले का बेटे अतीक पर 17 साल की उम्र हत्या का आरोप लगा। फिर अगले पांच सालों में ही अतीक ने अपराध की दुनिया में अपनी मजबूत पहचान बना ली। उस वक्त अपराध की दुनिया के बड़े नाम चांदबाबा से खुन्नस रखने वाले रसूखदार लोगों ने अतीक को शह देनी शुरू कर दी। अतीक अब गिरोहवाला अपराधी बन चुका था। चांद बाबा के गिरोह पर भारी पड़ने लगा।
अपराध की दुनिया में ताकत और दौलत कमाने के बाद अतीक ने खादी पहनी फिर भी अपराध का साथ नहीं छोड़ा और यही उसे अंत (End of Atiq-Ashraf ) में भारी पड़ा। रंगदारी, हत्या, अपहरण, फिरौती के मामलों में मुकदमे दर मुकदमे दर्ज होते रहे, लेकिन वह बेखौफ घूमता रहा। अतीक पर लगभग 101 मुकदमे दर्ज हुए। 44 साल पहले अतीक के खिलाफ पहला मुकदमा दर्ज हुआ था।
अतीक ने पहली बार लड़ा चुनाव
बात 1989 की है। एक साल जेल में रहने के बाद बाहर आए अतीक ने इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से निर्दलीय पर्चा भरा। सामने चांद बाबा था, लेकिन धनबल बाहुबल से जीत अतीक की ही हुई। अतीक के विधायक बनने के कुछ ही महीने बाद चांदबाबा की हत्या हो गई। खौफ इतना की कोई अतीक के सामने चुनाव में खड़ा होने की हिम्मत नहीं करता था।
5 बार बना विधायक 1 बार सांसद
अतीक ने निर्दलीय 1991 और 1993 में विधायकी का चुनाव जीता। साल 1996 में सपा के टिकट पर चौथी बार विधायक बन गया। इसके अगले चुनाव में अतीक ने पार्टी और सीट बदली, लेकिन जीत नहीं सका। तब वह प्रतापगढ़ से अपना दल के टिकट पर लड़ा था। साल 2002 में पुरानी सीट पर लौटा और अपना दल के टिकट पर पांचवीं बार उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचा।
साल 2004 में फूलपुर लोकसभ सीट से चुनाव जीतकर अतीक सासंद बना। इस बीच अतीक का नया शौक बन गया था, वो था महंगी विदेशी गाड़ियां और हथियार। उसकी राह में मुश्किल पैदा करने वाले ठिकाने लगते गए।
राजूपाल और उमेशपाल की हत्या
25 जनवरी 2005 को प्रयागराज के सुलेमसराय में तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की दिनदहाड़े गोलियां बरसराकर हत्या कर दी गई। राजूपाल की पत्नी पूजा पाल ने माफइया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ समेत 9 लोगों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट (End of Atiq-Ashraf) लिखाई थी।
राजूपाल की हत्या के 12 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने CBI जांच के आदेश दिए। CBI ने अतीक और अशरफ समेत 18 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। उमेश की मजबूत पैरवी पर हाई कोर्ट ने दो महीने में राजू पाल हत्याकांड का ट्रायल पूरा करने का आदेश पिछले दिनों दिया था। ट्रायल शुरु होने से पहले ही बीते 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या कर दी गई।
5 साल से अहमदाबाद के साबरमती जेल में बंद रहे अतीक और बरेली जेल में बंद उसके भाई अशरफ को उमेशपाल अपहरण मामले में 27 मार्च को कोर्ट में पेशी के लिए प्रयागराज लाया गया। 28 मार्च को पहली बार 100 से अधिक मुकदमों के आरोपित अतीक को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। 11 अप्रैल को उसे फिर प्रयागराज लाया गया और इसी दौरान 13 अप्रैल को उसके बेटे असद का एनकाउंटर हो गया। इसी के 2 दिन बाद प्रयागराज में 1 अस्पताल के बाहर आतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई। और हत्या के आरोप से शुरु हुआ अतीक के आतंक (End of Atiq-Ashraf) का सफर यहीं खत्म हो गया।
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